लखनऊ (मानवीय सोच) तीन दिन पहले तक दानिश आजाद अंसारी को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी मुखर युवा बीजेपी (BJP) नेता के तौर पर जाना जाता था, जिन्होंने मुस्लिम युवाओं को पार्टी से जोड़कर राज्य में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत की जमीन तैयार की और अब वो योगी सरकार के मंत्रिमंडल का इकलौता मुस्लिम चेहरा हैं, जिन्हें 2024 के लोक सभा चुनाव के लिए पार्टी की जातीय बिसात का अहम मोहरा माना जा रहा है.
योगी मंत्रिमंडल में दानिश आजाद अंसारी शामिल
योगी मंत्रिमंडल के गठन के दिन दानिश आजाद अंसारी को सुबह सवेरे जब मुख्यमंत्री आवास से मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की सूचना मिली तो ये उनके लिए आश्चर्य तो था, लेकिन अप्रत्याशित कतई नहीं था. उनका कहना था कि पार्टी के लिए काम करने वालों की मेहनत का सम्मान करना बीजेपी की संस्कृति का हिस्सा है और मुझ जैसे एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकर पार्टी ने मेरा हौसला बढ़ाया है. उन्होंने इसके लिए पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद देते हुए अपनी इस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी के साथ निभाने का वचन भी दिया.
मुस्लिम समुदाय के इकलौते मंत्री हैं दानिश
उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद पहली बार ऐसा हुआ कि किसी मुख्यमंत्री ने लगातार दूसरी बार राज्य की कमान संभाली. सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूसरी पारी के लिए 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल चुना. दानिश आजाद अंसारी इस मंत्रिमंडल के इकलौते मुस्लिम सदस्य हैं. योगी सरकार की पहली पारी में उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे मोहसिन रजा की जगह पर इस बार 34 साल के दानिश आजाद अंसारी को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. वो योगी सरकार के 31 नए चेहरों और सबसे युवा मंत्रियों में से एक हैं.
दानिश को मंत्री बनाने के पीछे बड़ी वजह
राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने दानिश आजाद अंसारी को मंत्री पद देकर 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण बनाने की कोशिश की है. दानिश आजाद अंसारी मुस्लिमों के अंसारी समुदाय से आते हैं, जो एक तरह से पिछड़े वर्ग की जाति में गिना जाता है और संख्या बल में अधिक होने के बावजूद राज्य की राजनीति में इस समुदाय का दखल कुछ खास नहीं है. ऐसे में दानिश को मंत्री बनाकर पार्टी ने एक बड़ा दांव खेला है. इस बात में दो राय नहीं हैं कि दानिश पिछले काफी समय से अपने समुदाय के युवाओं को पार्टी से जोड़ने का काम कर रहे हैं.
दानिश आजाद अंसारी का जन्म 30 मई 1988 को राज्य के बलिया जिले में समीउल्लाह अंसारी और नूरजहां बेगम के यहां हुआ था. बलिया के होली क्रास स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. इस दौरान वो बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता रहे.
पढ़ाई पूरी करने के बाद दानिश आजाद अंसारी पार्टी के लिए लगातार 6 साल तक काम करते रहे. 2017 के विधान सभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद उन्हें उर्दू भाषा समिति और फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी का सदस्य बनाकर बड़ी जिम्मेदारियों सौंपने का सिलसिला शुरू किया गया.
बीजेपी ने 2022 के विधान सभा चुनाव से कुछ महीने पहले उन्हें अक्टूबर 2021 में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी देकर उनपर अपना विश्वास और मजबूत कर दिया. दानिश आजाद अंसारी पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे और बीजेपी ने राज्य में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. पार्टी ने भी उन्हें राज्य के नवगठित मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री का दर्जा देकर सरकार का हिस्सा बना दिया.