लखनऊ : (मानवीय सोच) गंभीर मरीजों के लिए अंग प्रत्यारोपण की जरूरत बढ़ती जा रही है। मौजूदा समय में प्रदेश में करीब 40 हजार मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट तो 15 हजार मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है। इसके उलट पूरे प्रदेश में हर साल महज 400 किडनी ट्रांसप्लांट हो पा रहे हैं, जबकि लिवर ट्रांसप्लांट सिर्फ 35 से 40 हो रहे हैं। पीजीआई में ऑर्गन डोनेशन डे पर रविवार को हुए जागरूकता कार्यक्रम में नेफ्रॉलजी विभाग के हेड डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि यह समस्या दूर करने के लिए ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान को बढ़ावा देने की जरूरत है।
डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटना के कारण करब 22000 लोगों की मौत होती है। इनमें ज्यादातर ब्रेन डेड मरीज हो जाते हैं। इनमें सिर्फ एक फीसदी मरीजों के घरवालों को अंगदान के लिए राजी कर लिया जाए तो हर साल 440 मरीजों का किडनी और 220 मरीजों का लिवर ट्रांसप्लांट हो सकता है। हेपेटॉलजी के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गोयल ने बताया कि ब्रेन डेड होने के बाद मरीज जीवित नहीं बचता, लेकिन उसके अंग कुछ समय तक जीवित रहते हैं।