लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत महोत्सव का आरंभ

लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग में संस्कृत सप्ताह का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मुख्यातिथि एलयू के संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग के विभागाध्यक्षचर प्रो. रामसुमेर यादव थे। कलासंकाय के अधिष्ठाता, संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग के पदेनाध्यक्ष प्रो. अरविन्द मोहन ने संस्कृत की साम्प्रतिक उपादेयता को लेकर अध्यक्षीय उद्बोधन किया।

उन्होंने आग्रह किया कि संस्कृत भाषा में आज अर्थशास्त्र विषयक कार्य क्यों नहीं हो रहा। केवल प्राचीनता की चर्चा मात्र करने से ही संस्कृत भाषा का उद्धार नहीं होगा। संस्कृत बोलने के लाभ हमें जनमानस तक पहुंचाने होंगे।  संस्कृत जब तक व्यवहार में नहीं होगी तब तक कोई विश्वस्तरीय शोध कार्य सम्भव नहीं है। भाषा सीखने की उम्र आरम्भिक होती है, लेकिन आज बहुत बड़ी अवस्था में जाकर संस्कृत भाषा या अंग्रेजी आदि अन्य भाषाओं को सीखने में युवाओं की बहुत बडी शक्ति लग रही है। नये उपायों को सोचने, आविष्कारों को करने की उम्र 20-25 की होती है। जो आजकल केवल डिग्री प्राप्त करने अथवा नयी भाषा सीखने में लग रही है।