न्यायिक अधिकारियों को बकाया पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों के कथित गैर-अनुपालन को लेकर 18 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में पेश हुए। उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, केरल और दिल्ली जैसे राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के अनुपालन हलफनामों पर संज्ञान लिया और उनके खिलाफ सुनवाई बंद करने का आदेश दिया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों से जुड़े बकाया के भुगतान पर शीर्ष न्यायालय के निर्देशों का पालन करने वाले राज्यों के मुख्य सचिवों और वित्त सचिवों को अब अदालत में पेश होने की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘हमें राज्यों के मुख्य सचिवों, वित्त सचिवों को तलब करने में कोई खुशी नहीं होती लेकिन राज्यों के वकील सुनवाई के दौरान लगातार अनुपस्थित रहे हैं।’’
न्यायालय ने तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, नगालैंड, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, केरल, बिहार, गोवा, हरियाणा और ओडिशा के शीर्ष नौकरशाहों को मंगलवार को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा था। न्यायालय ने यह निर्देश तब दिया, जब वरिष्ठ वकील एवं न्याय मित्र के. परमेश्वर ने पीठ को बताया कि कई आदेशों और समय विस्तार के बावजूद, 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एसएनजेपीसी की सिफारिशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है। अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ (एआईजेए) पूर्व न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए कल्याणकारी और अन्य कदम लागू करने की मांग कर रहा है।