नई दिल्ली (मानवीय सोच) संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस एग्जाम को सबसे कठीन परीक्षाओं में से एक माना जाता और इसमें महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. कई महिला अधिकारियों ने अपने काम से पहचान बनाई है और ऐसी ही कहानी आईएएस अफसर स्मिता सभरवाल की है, जो ‘जनता की अधिकारी’ कही जाती हैं.
स्मिता के पिता हैं रिटायर्ड सेना अधिकारी
स्मिता सभरवाल पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग की रहने वाली है. उनके पिता प्रणब दास भारतीय सेना (Indian Army) में कर्नल के पद से रिटायर हुए हैं. इस वजह से स्मिता अलग-अलग शहरों में पली-बढ़ी हैं और उनकी पढ़ाई भी अलग-अलग स्कूलों में हुई.
स्मिता ने 12वीं में किया था टॉप
स्मिता सभरवाल शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थीं और वह 12वीं में ISC बोर्ड की टॉपर रही थीं. 12वीं के बाद स्मिता ने कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन किया. जब स्मिता ने 12वीं में टॉप किया तो उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रोत्साहित किया.
पहले प्रयास में मिली असफलता
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेजुएशन के बाद स्मिता सभरवाल ने सिविल सर्विस एग्जाम (Civil Service Exam) की तैयारी शुरू की. हालांकि स्मिता को पहले प्रयास में असफलता हाथ लगी और वो प्रीलिम्स एग्जाम भी क्लियर नहीं कर पाई.
सिर्फ 22 साल की उम्र में बनीं IAS
पहले प्रयास में मिली असफलता के बाद भी स्मिता सभरवाल ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के साथ दूसरी बार एग्जाम दिया. स्मिता ने साल 2000 में यूपीएससी एग्जाम में चौथी रैंक हासिल की और सिर्फ 22 साल की उम्र में आईएएस अफसर बन गईं.