रामपुर (मानवीय सोच) समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता आजम खान जेल से बाहर आने के बाद से लगातार सक्रिय हैं। यही नहीं सोमवार को रामपुर लोकसभा उपचुनाव के प्रत्याशी आसिम रजा के समर्थन में प्रचार भी किया। इस दौरान वह अपने खास अंदाज में दिखाई दिए और जेल के दौरान का दर्द भी बयां। आजम खान ने कहा कि सरकार ने हमें सीतापुर जेल में इसलिए रखा था ताकि हम लोग मर जाएं, लेकिन मैं जिंदां हूं तो जिंदा हूं। आजम खान ने कहा, ‘सीतापुर जेल पूरे हिंदुस्तान में सुसाइडल जेल के नाम से जानी जाती है। कहीं और भी भेज सकते थे, लेकिन उन्होंने सीतापुर ही भेजा। उन्हें लगा कि जो सबसे कमजोर होगा, वह अपनी जान देगा। फिर उसके गम में दूसरा जान देगा और जब दो जा चुके होंगे तो तीसरा जान दे देगा। इस तरह तीनों के जनाजे उठ जाएंगे।’
नूपुर पर बोले- बदनसीब को उसके हाल पर छोड़ दो
इस दौरान उन्होंने नूपुर शर्मा की ओर से पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हुजूर की शान में गुस्ताखी करने वाला बदनसीब है, उसे उसके नसीब पर छोड़ दो। यही नहीं आजम खान ने अपने ही अंदाज में लोगों से शांति बरतने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि आग को आग से और सैलाब को पानी से खत्म नहीं किया जा सकता। हुजूर की शान में गुस्ताखी करने वाला बहुत बदनसीब है। उसके हाल पर उसे छोड़ दो और उसके जुमलों को दोहराओ मत। दुनिया का कोई तानाशाह नहीं बचा। इतिहास उनको याद करता है। रसूल की शान में कोई गुस्ताखी नहीं कर सकता। जिससे अल्लाह मोहब्बत करता है, उस पर किसी के लफ्ज से कोई फर्क नहीं पड़ता।
आजम बोले- एक हिंदू परिवार के बच्चों ने मेरे लिए दिवाली नहीं मनाई
रामपुर के लोगों से अमन की अपील करते हुए आजम खान ने कहा कि अपने शहर और रिश्तों को उसी तरह जोड़कर रखो, जैसे 1942 से लेकर 2022 तक जोड़कर रखा। यहां हिंदू और मुसलमान कभी आपस में नहीं लड़े। मंच पर बैठे एक नेता का जिक्र करते हुए आजम खान ने कहा, ‘ये गोयल साहब मेरे दोस्त आरएसएस के कार्यकर्ता थे, लेकिन मैंने इनसे कहा कि तुम तो मेरे यार हो, फिर मेरे साथ क्यों नहीं हो। इन्होंने कहा कि तुमने कभी कहा नहीं कि साथ आओ। मैंने कहा कि आओ और उन्होंने कहा कि लो मैं तुम्हारा हो गया। एक हिंदू परिवार के बच्चों ने दिवाली नहीं मनाई क्योंकि मैं उनके साथ नहीं था और वह मेरे साथ ही दिवाली मनाते थे।’
आसिम रजा को आजम खान ने बताया अपने दिल का टुकड़ा
सपा प्रत्याशी आसिम रजा का समर्थन करते हुए कहा कि ये तो मेरे दिल का टुकड़ा है। मेरा दिल चीर कर देखो तो उसमें आप सब है। कोई इतनी तकलीफ उठाएगा क्या जितनी हमने उठाई है। हम हमेशा यही कहते थे कि अल्लाह तेरे मुजरिम हैं, तू ही सजा दे। आसिम रजा कोई शेख, सैयद नहीं है बल्कि अंसारी है।