राहुल-अखिलेश

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सात वर्ष बाद हुआ है एक बार फिर गठबंधन

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सात वर्ष बाद एक बार फिर गठबंधन हुआ है। दोनों पार्टी के नेता लोकसभा चुनाव में फिर एक मंच साझा करेंगे, हालांकि सात वर्ष पहले की गई गलतियों को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार नहीं दोहराएंगे।

मसलन बूथ व सेक्टर स्तर पर मजबूत पकड़ न होना? एक-दूसरे का वोट ट्रांसफर न करा पाना? मत प्रतिशत में बढ़ोतरी न कर पाना? पदाधिकारियों के बीच आपसी मतभेद को समाप्त न करा पाना आदि ऐसे बिंदु रहे, जिसने 2017 में इस गठबंधन को औंधे मुंह गिरा दिया था। लेकिन इस बार इन सभी बिंदुओं को लेकर पहले से ही सक्रियता बरती जा रही है। दोनों पार्टियों के पदाधिकारियों का दावा है कि गठबंधन इस बार कमाल दिखाएगा।

2017 में अखिलेश-राहुल की थी खूब चर्चा

विधानसभा चुनाव 2017 से पहले प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। लोकसभा चुनाव 2014 की पराजय के बाद भाजपा को हराने के लिए अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव 2017 में हाथ मिलाया। प्रयागराज में भी विजय रथ पहुंचा, जिस पर अखिलेश यादव और राहुल गांधी सवार थे। ‘दो लड़कों की जोड़ी’ की खूब चर्चा हुई।

हालांकि, चुनाव परिणाम आया तो गठबंधन बहुत पीछे रह गया। इसके बाद सपा और कांग्रेस की राहें अलग हो गईं। 2019 के लोकसभा व 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर दोनों के बीच गठबंधन की बात चली, लेकिन दोनों साथ नहीं आए। अब लोकसभा चुनाव आने वाला है, ऐसे में सात वर्ष बाद अखिलेश यादव और राहुल गांधी एक बार फिर साथ आ गए हैं।

सपा का पलड़ा है भारी

समाजवादी पार्टी काफी समय से पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को उनका हक दिलाने की बात कर रही है तो वहीं, कांग्रेस भी करीब-करीब इसी राह पर है। मजबूती की बात करें तो कांग्रेस के मुकाबले सपा काफी भारी है। पीडीए के तहत लगातार बूथ, सेक्टर स्तर पर बैठक की गई है।

वहीं, कांग्रेस की बात करें तो सहसों में ही एक बड़ी बैठक हुई, जबकि यदा-कदा ही छोटी-छोटी बैठकें हुईं। दोनों पार्टियां खुद को मजबूत बता रही हैं, लेकिन उनके लिए एक-दूसरे का वोट ट्रांसफर करा पाने की बहुत बड़ी चुनौती है। साथ ही मत प्रतिशत में बढ़ोतरी भी करनी होगी।

गंगापार अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि 13 दिन में ही गंगापार में 108 जनपंचायत की गई है। बूथ, सेक्टर पर पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं। जनसमर्थन उनके साथ है। इलाहाबाद व फूलपुर संसदीय सीट पर विजयश्री हासिल करने के लिए कांग्रेस के साथ प्रचार होगा। दावा किया कि मत प्रतिशत में वृद्धि के साथ ही दोनों सीटें गठबंधन के पाले में आएंगी।

कांग्रेस का दामन थामने के फिराक में कई दिग्गज

प्रयागराज : इलाहाबाद संसदीय सीट को सपा ने कांग्रेस को दे दिया है। यहां से कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में कुछ दूसरे दलों के कई ऐसे दिग्गज हैं, जो कांग्रेस का दामन थामने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क करने की कोशिश में लगे हैं। उनको यह उम्मीद है कि वह कांग्रेस का दामन थामेंगे तो इलाहाबाद संसदीय सीट से उम्मीदवार भी बन सकते हैं।