मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित एम्स हॉस्पिटल में इलाज कराने आ रहे बच्चों में एक नई बीमारी देखने को मिल रही है। हैरानी की बात तो यह है कि ये बीमारी किसी वायरस या किसी अन्य कारण से नहीं बल्कि खुद माता-पिता की लापरवाही से फैल रही है। ये हम नहीं कह रहे हैं। ये हकीकत तो खुद हालात बयां कर रहे हैं। जिसे डॉक्टरों ने फोन एडिक्शन का नाम दिया है। जिसकी शुरुआत बच्चों के खाना खाने के साथ शुरू हो जाती है। क्योंकि उनके मुंह में पहला निवाला ही तब जाता है। जब उनके सामने मोबाइल फोन होता है।
बच्चों को खुद माता-पिता दे रहे मोबाइल
आजकल माता-पिता खुद अपने के बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा रहे है। ताकि वह मोबाइल देखते-देखते खाना खा लें, स्कूल के लिए तैयार हो जाए। अगर उन्हें कुछ काम है, वे चाहते हैं कि बच्चा मस्ती नहीं करे, तो भी उसे मोबाइल पकड़ा देते हैं। ताकि बच्चा चुप रहे और वे अपना काम निपटा लें। बस यही से बच्चों में मोबाइल की लत लगने की शुरुआत हो जाती है। जिसमें बच्चे कुछ ही दिनों में मोबाइल के इतने आदी हो जाते हैं कि वे पढ़ाई भी इसी शर्त पर करते हैं कि पहले आधा या एक घंटा मोबाइल देना होगा। वे कोचिंग या स्कूल भी तभी जाते हैं। जब उन्हें मनपसंद गेम मोबाइल पर खेलने मिलता है। हालात यह हो गए हैं कि छोटे-छोटे बच्चे अपना अधिकतर समय मोबाइल में लगे रहते हैं। फिर वह मोबाइल पापा का हो या मम्मी का उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।