दिल्ली-NCR के 100 से अधिक गैंगस्टर्स ने सुरक्षा एजेंसियों की नाक में दम
तिहाड़ और अन्य जेलें बन गईं अपराध नियंत्रण केंद्र, जेल के भीतर से ही दी जा रही रंगदारी और हत्या की सुपारी
दिल्ली-एनसीआर में संगठित अपराध का जाल अब इतना गहरा हो चुका है कि 100 से अधिक गैंगस्टर्स जेल के भीतर रहकर ही अपने गिरोह चला रहे हैं। तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेलें अब इन अपराधियों के लिए महज़ बंदीगृह नहीं बल्कि ‘गैंग ऑपरेशन रूम’ बन गई हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की तमाम सख्ती के बावजूद ये गैंगस्टर्स मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और इंटरनेट कॉल्स के जरिए बाहर अपने नेटवर्क को संचालित कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस, स्पेशल सेल, एनआईए और अन्य एजेंसियों की निगाहें इनपर टिकी हैं, लेकिन प्रत्येक सप्ताह नए रंगदारी और शूटआउट के मामले सामने आते हैं।
🔴 जेल से ऑपरेट हो रहा क्राइम नेटवर्क
कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, काला जठेड़ी, टिल्लू ताजपुरिया और नवीन बाली जैसे नाम जेल में रहकर भी अपने नेटवर्क को नियंत्रित कर रहे हैं।
हाल ही में एक बिल्डर को तिहाड़ जेल से कॉल कर 5 करोड़ की रंगदारी मांगी गई।
जेलों में छापेमारी के दौरान कई मोबाइल, चाकू, और सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं।
📲 तकनीक बनी सुरक्षा के लिए चुनौती
गैंगस्टर्स व्हाट्सएप, वीडियो कॉल और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं।
कई बार सोशल मीडिया पर खुलेआम धमकी और अपराध की जिम्मेदारी ली गई है।
जेल में फोन जैमर और CCTV कैमरे होने के बावजूद ये गतिविधियां बंद नहीं हो पा रही हैं।
🧨 अंदर भी संघर्ष, बाहर भी आतंक
टिल्लू ताजपुरिया की जेल में हत्या इस बात का प्रमाण है कि जेल के अंदर भी गैंगवार जारी है।
जेलों में बंद अपराधियों के बीच क्षेत्र और वर्चस्व को लेकर खून-खराबा तक हो चुका है।
बाहर के गुर्गे लगातार शूटआउट, अपहरण, फिरौती जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
🛡 सुरक्षा एजेंसियों की कार्यवाही
जेल प्रशासन को तकनीकी रूप से सशक्त करने का प्रयास जारी है:
AI आधारित निगरानी कैमरे,
मोबाइल जैमिंग उपकरण,
डिजिटल स्क्रीनिंग सिस्टम लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है।
गैंगस्टर एक्ट, NSA, और UAPA जैसे सख्त कानूनों के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं।
स्पेशल टास्क फोर्स और साइबर निगरानी सेल को लगातार सक्रिय रखा गया है।
🌐 गैंग्स का नेटवर्क देश-विदेश तक फैला
दिल्ली-NCR के ये गैंग अब हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी तक फैले हैं।
कई मामलों में विदेशों से भी इन्हें हथियार, फंडिंग और ठिकाने उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
📌 निष्कर्ष
जब जेलें ही अपराध नियंत्रण का अड्डा बन जाएं, तो यह न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल है, बल्कि प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चेतावनी भी। ज़रूरत है कि जेल सुधारों को तकनीक के साथ जोड़ा जाए, ताकि इन गैंगस्टरों पर पूरी तरह लगाम लगाई जा सके।