नई दिल्ली (मानवीय सोच) कर्नाटक में अब ऐसे स्कूल और कॉलेजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जहां मुस्लिम समुदाय की छात्राएं, हिजाब पहन कर Class Attend करने की इजाज़त मांग रही हैं. पिछले हफ्ते हमने आपको इसके बारे में एक ख़बर दिखाई थी कि कैसे कर्नाटक के स्कूलों में बच्चों द्वारा क्लास में नमाज़ पढ़ी जा रही थी. और उसके बाद से कई और जगहों से ऐसी ख़बरें आ रही हैं. अब इसके विरोध में हिन्दू छात्रों ने ये मांग की है कि उन्हें भी स्कूलों और कॉलेजों में तिलक लगा कर और भगवा रंग का अंगोछा पहन कर Class Attend करने की इजाज़त दी जाए.
हिजाब पहन कर कॉलेज पहुंची मुस्लिम छात्राएं
21 जनवरी को कर्नाटक के उडुपि में स्थित जिस इंटर कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा हिजाब पहन कर आने पर विवाद हुआ था, उसी उडुपि ज़िले के एक और इंटर कॉलेज में अब 27 मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहन कर कॉलेज आने की मांग कर रही हैं. ये भी आरोप है कि 28 और 29 जनवरी को ये सभी छात्राएं हिजाब पहन कर कॉलेज आई थीं, जिसके बाद वहां पढ़ने वाले कुछ छात्रों द्वारा इनका विरोध किया गया था.
इन छात्राओं पर कोई कार्रवाई नहीं
कॉलेज प्रबंधन ने इस विवाद से बचने के लिए तब इन छात्राओं पर कोई कार्रवाई नहीं की. लेकिन बाद में ये मामला इस कदर बढ़ गया कि यहां पढ़ने वाले 100 छात्र, भगवा रंग का अंगोछा पहन कर स्कूल पहुंच गए और उन्होंने मांग की कि अगर मुस्लिम छात्राओं को कक्षा में हिजाब पहन कर आने दिया जाएगा तो वो भी तिलक लगा कर और भगवा रंग का अंगोछा पहन कर कॉलेज आएंगे.
सभी बच्चे 11वीं और 12वीं कक्षा के
सोचिए, ये सभी बच्चे 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं. इनकी उम्र 16 से 17 साल है. लेकिन इनके विचारों में अभी से धार्मिक कट्टरवाद का ज़हर घोला जा रहा है. और इस घटना का एक नया वीडियो भी सामने आया है, जिसमें इस कॉलेज के गेट पर कुछ लड़कियों को प्रिंसिपल द्वारा रोक दिया गया, क्योंकि ये सभी लड़कियां हिजाब पहनी हुई थीं.
हिजाब की अनुमति के लिए अभिभावक भी अड़े
इस मामले में स्थानीय विधायक द्वारा मुस्लिम छात्राओं के माता-पिता और कॉलेज प्रबंधन के साथ एक बैठक भी की गई, जिसमें इन लड़कियों के माता पिता खुद ये कह रहे हैं कि अगर कॉलेज प्रबंधन ये लिख कर दे दे कि वो इन लड़कियों को हिजाब पहनने को अनुमति नहीं देगा तो वो फिर वो ये विचार करेंगे कि उन्हें अपनी लड़कियों को इस कॉलेज में भेजना है या नहीं. यानी अगर हिजाब नहीं होगा तो ये लड़कियां स्कूल भी नहीं आएंगी.
एक नहीं और भी कॉलेज में उठी मांग
उडुपि के अलावा कर्नाटक के भद्रावती में भी एक कॉलेज में कुछ लड़कियां हिजाब पहन कर स्कूल आने की मांग कर रही हैं. और यहां भी कॉलेज में पढ़ने वाले दूसरे धर्म के छात्रों ने इसका विरोध किया है. ये सभी छात्र 2 फरवरी को भगवा रंग का अंगोछा पहन कर अपनी कक्षा में पहुंच गए, जिसके बाद वहां काफ़ी हंगामा हुआ. हालांकि यहां पढ़ने वाली ज्यादातर मुस्लिम छात्राएं अब ये कह रही हैं कि उन्हें हिजाब पहन कर कॉलेज आने से कोई नहीं रोक सकता है, क्योंकि भारत का संविधान उन्हें ये इजाज़त देता है.
कर्नाटक सरकार ने बनाई एक्सपक्ट कमेटी
इस मामले में कर्नाटक सरकार द्वारा एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई है, जो कॉलेज Uniform को लेकर आने वाले दिनों में विस्तृत Guidelines जारी करेगी. हालांकि इन Guidelines के जारी होने तक, राज्य सरकार द्वारा सभी स्कूलों और कॉलेजों को ये निर्देश दिया गया है कि वो किसी भी ऐसे छात्र को स्कूलों में प्रवेश नहीं दें, जो धार्मिक चिन्ह और पोशाक में आते हैं. हालांकि, उडुपि के इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली 6 मुस्लिम लड़कियां.. इस मामले को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट पहुंच गई हैं, जहां इसी हफ़्ते इस मामले पर सुनवाई हो सकती है.
हिजाब धर्म के पालन की सच्ची भावना
ज्यादातर मुस्लिम लड़कियों का ये कहना है कि इस्लाम धर्म में हिजाब पहनना, धर्म के पालन की सच्ची भावना को दर्शाता है. और भारतीय संविधान भी उन्हें इसकी पूरी इजाज़त देता है. लेकिन सवाल है कि क्या ये बात सही है? आपको जानकर हैरानी होगी कि इस्लाम के पवित्र धार्मिक ग्रंथ, कुरान में हिजाब और बुर्के जैसे शब्दों का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया गया है. इनकी जगह खिमर और जिबाब जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, जिनका अर्थ… महिलाओं द्वारा अपना सिर और चेहरा ढंकने से है. कुरान में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि पैगम्बर मोहम्मद साहब की पत्नी खिमर और जिबाब धारण करती थीं. लेकिन कुरान में कहीं ये स्पष्ट रूप से नहीं लिखा है कि इस्लाम धर्म को मानने वाली महिलाओं के लिए हिजाब और बुर्का पहनना अनिवार्य है. दूसरी बात, कुरान में कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं मिलता कि अगर महिलाएं हिजाब और बुर्का ना पहनें तो ये इस्लाम धर्म का अपमान होगा. यानी जो बात ये लड़कियां कह रही हैं कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म के पालन की सच्ची भावना है, ऐसा सैद्धांतिक रूप से पूरी तरह सही नहीं है.
ये पहनावा, इस्लाम धर्म ने दुनिया को नहीं दिया
एक और बात, इस्लाम धर्म की उपत्ति से पहले अरब और मध्य पूर्व के देशों में हिजाब और बुर्के के पहनावे का चलन काफ़ी लोकप्रिय था. यानी ये पहनावा, इस्लाम धर्म ने दुनिया को नहीं दिया. बल्कि ये पहनावा, इस्लाम धर्म को अरब और मध्य पूर्व के देशों की सांस्कृतिक पहचान से मिला. लेकिन एक खास विचारधारा के लोगों ने इन लड़कियों के दिल और दिमाग़ में ये ज़हर भर दिया है कि अगर वो हिजाब पहन कर स्कूल जाएंगी, तभी वो सच्ची मुस्लमान मानी जाएंगी. और हमें पता चला है कि इसके पीछे कुछ कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हो सकते हैं, जो कर्नाटक के अलग अलग ज़िलों में जाकर मुस्लिम लड़कियों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
धर्म का ख़तरनाक प्रयोग
हमारे देश के स्कूलों में जब धर्म का ये ख़तरनाक प्रयोग किया जा रहा है, तब ये संयोग ही है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए फिर से कुछ विश्वविद्यालय खुलने शुरू हो गए हैं. हालांकि बहुत सारी लड़कियां अब भी अपने कॉलेज नहीं जाना चाहती, क्योंकि तालिबान सरकार ने ये ऐलान किया है कि वो शरिया क़ानून के तहत लड़कों और लड़कियों को एक साथ एक कक्षा में बैठ कर पढ़ने की इजाज़त नहीं देगा. और लड़कियों के लिए कॉलेजों में हिजाब पहनना अनिवार्य होगा. सोचिए, वहां इस कट्टर सोच के ख़िलाफ़ लड़कियां कॉलेज नहीं जा रहीं. लेकिन हमारे देश में कुछ मुस्लिम छात्राएं, हिजाब पहन कर स्कूल जाना चाहती हैं.
हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश
ये दुर्भाग्य ही है कि, आज Tunisia, Morocco, Azerbaijan, लेबनान, सीरिया और कोसोवो जैसे मुस्लिम देशों में हिजाब को लेकर कड़े नियम मौजूद हैं. जैसे, कोसोवो में लड़कियां हिजाब पहन कर स्कूल नहीं जा सकतीं. लेकिन भारत में इसका ठीक उल्टा हो रहा है. जबकि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो अनेकता में एकता और समानता की बात करता है.