जनपद कानपुर नगर में बिठूर महोत्सव-2025 के समापन सत्र में मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के अन्तर्गत मुख्यमंत्री जी ने 1,302 लाभार्थियों को 05 करोड़ 42 लाख रु0 का ऋण वितरित किया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि आज भारत माता के महान सपूत देश के प्रथम स्वातंत्र्य समर के महानायक के रूप में बिठूर को अपना केन्द्र बनाकर भारत की आजादी के लिए युद्ध करने वाले महायोद्धा नानाजी राव पेशवा की पावन जयन्ती है।

बिठूर महोत्सव के मुख्य समारोह में नानाजी राव पेशवा का स्मरण किया जा रहा है। इससे अच्छा कोई दूसरा संयोग नहीं बन सकता। मां गंगा के सान्निध्य में बसी यह बिठूर नगरी कानपुर की आत्मा के समान है। बिठूर प्राचीन काल से ही भारत की आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक रहा है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना हेतु अपने तप के लिए इस भूमि का चयन किया था। लव और कुश का लालन-पालन महर्षि वाल्मीकि के सान्निध्य में इसी क्षेत्र में हुआ था।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद कानपुर नगर में बिठूर महोत्सव-2025 के समापन सत्र के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने नाना जी राव पेशवा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (सीएम-युवा) के अन्तर्गत जनपद कानपुर नगर के 1,302 लाभार्थियों को 05 करोड़ 42 लाख रुपये का ऋण वितरित किया। मुख्यमंत्री जी ने 329 नवचयनित आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां को नियुक्ति पत्र तथा मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के 127 लाभार्थियों को 06 करोड़ 35 लाख रुपये की सहायता राशि का वितरण भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने वाले कलाकारों और विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किये। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर सन् 1857 की क्रान्ति में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा प्रयुक्त शस्त्रों की प्रदर्शनी तथा ओ0डी0ओ0पी0 के स्टॉलों का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री जी ने नानाजी राव पेशवा, शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु एवं डॉ0 राम मनोहर लोहिया की स्मृतियों को नमन करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उत्तर दिशा में ध्रुव तारा दिखाई देता है। धु्रव टीला बिठूर में स्थित है। प्राकृतिक और भौगोलिक बनावट के साथ भारत की आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत इस धरती को स्वाधीनता की लौ जलाने का केन्द्रबिन्दु बनाने के लिए नानाजी राव पेशवा ने सन् 1857 की व्यूह रचना की थी। यहीं पर रानी लक्ष्मीबाई का बचपन बीता था। उन्होंने यहां घुड़सवारी, तीरंदाजी तथा युद्ध कला के अन्य गुण सीखे थे। यह भूमि देश के क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा स्थली बनी थी। कौन भारतीय होगा जिसकी धमनियों में बिठूर, छत्रपति शिवाजी, नानाजी राव पेशवा, रानी लक्ष्मीबाई तथा तात्या टोपे के नाम पर रक्त का संचार न होता हो। हर भारतीय गौरव के साथ इन महापुरुषों का स्मरण करता है।