खदरा के एमजे अस्पताल पर केजीएमयू से मरीज शिफ्ट कराने का आरोप पहली बार नहीं लगा। पहले भी अस्पताल में केजीएमयू के छात्र पर इलाज करने का आरोप लगा था। स्वास्थ्य विभाग की जांच में अस्पताल का पंजीकरण तक नहीं मिला था। केजीएमयू का प्रशिक्षु छात्र इलाज करता मिला था। स्वास्थ्य विभाग ने जुर्माना लगाकर अस्पताल संचालन रोक लगा दी थी। इसके एक महीने के भीतर ही नया पंजीकरण करके अस्पताल का संचालन शुरू हो गया।
शिकायत पर जनवरी में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने खदरा स्थित एमजे अस्पताल में छापा मारकर जांच की थी। वहां तीन मरीज भर्ती मिले थे। संचालक अस्पताल पंजीकरण के प्रपत्र नहीं दिखा सके थे। भर्ती मरीजों का इलाज केजीएमयू का मेडिकल छात्र करता मिला था। सीएमओ कार्यालय से एमजे अस्पताल को नोटिस दी गई थी। इसमें लिखा था कि निरीक्षण में तीन गंभीर मरीज भर्ती मिले थे, जिनका इलाज झोलाछाप के जरिए किया जा रहा था, कोई भी कुशल डॉक्टर नहीं था।
नोटिस सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था। इससे सीएमओ कार्यालय के अफसरों की खूब किरकिरी हुई थी। खुद को फंसता देख अफसरों ने अस्पताल से 50 हजार रुपए जुर्माना लेकर कोषागार में जमा करवाया था। आरोप है अफसरों ने मिलीभगत करके एक महीने के भीतर ही अस्पताल का संचालन शुरू करा दिया। अब दोबारा से केजीएमयू के मरीज को शिफ्ट कराने के बाद इलाज में हुई लापरवाही से युवक की मौत का मामला आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरु की है।