उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने महाकुम्भ नगर में ‘कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन’ सम्मेलन का किया शुभारम्भ.

मुख्यमंत्री जी
वैदिक सूक्तों में चराचर जगत के कल्याण की बात, जिस प्रकार हमारा व्यक्तिगत
जीवन चक्र है, उसी प्रकार धरती माता का भी एक जीवन चक्र : मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि अथर्ववेद कहता है कि ’माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्या’ अर्थात धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं। वैदिक सूक्तों में चराचर जगत के कल्याण की बात की गई है। जिस प्रकार हमारा व्यक्तिगत जीवन चक्र है, उसी प्रकार धरती माता का भी एक जीवन चक्र है। जब हम स्वयं को एक दूसरे को जोड़कर देखेंगे तभी इस सृष्टि तथा चराचर जगत का अस्तित्व रहेगा। हम सभी को महाकुम्भ जैसे आयोजनों से भव्यता और दिव्यता व मां गंगा व मां यमुना की अविरलता के साथ जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त होता रहेगा। सभ्यता और संस्कृति इसी प्रकार फलती-फूलती रहेगी। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने हेतु किए जाने वाले प्रयासों में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए चिंतन करने तथा उसे व्यावहारिक जीवन में उतारने की आवश्यकता महाकुम्भ के संदेश का भाग बननी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी आज महाकुम्भ नगर में ‘कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन’ सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन तथा इण्टरनेशनल बर्ड फेस्टिवल पर आधारित लघु फ़िल्मों का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण प्रदूषण का कारण कार्बन उत्सर्जन है। जिन नदियों को धरती माता की धमनियों के रूप में कार्य करना चाहिए था, वह सूखतीं जा रही हैं। यदि रक्त का प्रवाह करने वाली शरीर की धमनियां सूख जाएंगी तो शरीर की क्या स्थिति होगी, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। यही स्थिति धरती माता की भी है। यदि धरती माता की धमनियां सूख गईं या प्रदूषित हो गईं तो इसका क्या परिणाम होगा, हम इसका भी अनुमान लगा सकते हैं।
प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया, नदियों
को चैनेलाइज किया गया तथा संगम का दायरा बढ़ाया गया.
प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया गया है। नदियों को चैनेलाइज किया गया तथा संगम का दायरा बढ़ाया गया। संगम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के स्नान हेतु 10,000 से 11,000 क्यूसेक पानी की अनवरत उपलब्धता की व्यवस्था की गई। 13 जनवरी से लेकर 16 फरवरी के बीच 35 दिनों में  52 करोड़ से अधिक श्रद्धालु मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके होंगे। यह जल की अविरलता के कारण सम्भव हो सका है। आज से 10 वर्ष पूर्व गंगा और यमुना नदियां क्या इसी प्रकार से अविरल व निर्मल थीं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लोग अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति व पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सिंगल यूज प्लास्टिक को पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित किया गया। वनों को काटकर लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में करने से कार्बन का उत्सर्जन होता था। इसके स्थान पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ग्रीन ईंधन के रूप में देश में एल0पी0जी0 के 10 करोड़ से अधिक निःशुल्क कनेक्शन उपलब्ध कराए गए। प्रदेश में विगत 08 वर्षों में 210 करोड़ पौधरोपण का कार्य किया गया। इनमें वन विभाग द्वारा कराए गए पौधरोपण में 70 से 80 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। अन्य संस्थाओं द्वारा कराए गए पौधरोपण में 60 से 70 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। फॉरेस्ट कवर को बढ़ाया गया। डीजल से चलने वाली बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों को प्राथमिकता तथा प्रोत्साहन देते हुए इससे सम्बन्धित नीति का निर्माण किया गया।