माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस दिन पूरे देश में लोग अपने कार्यस्थलों व घर पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं, जिन्हें ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार यानी इंजीनियर माना जाता है। तो आइए इस खास दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।
आपको बता दें, भगवान विश्वकर्मा को महादेव का त्रिशूल, सुदर्शन चक्र और कई अन्य दिव्य अस्त्र-शस्त्र बनाने के लिए जाना जाता है। ऐसे में आज हम इस खास दिन और पूजा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी को आपके साथ साझा करेंगे।
विश्वकर्मा जयंती तिथि और समय
इस साल माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी 2024 प्रातः 11 बजकर 28 मिनट से शुरू हो चुकी है और इसका समापन 22 फरवरी दोपहर 1 बजकर 22 मिनट पर होगा।
विश्वकर्मा जयंती के पूजा नियम
विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद अपने घर, फैक्ट्री, दुकान या जहां कहीं भी आपको पूजा करनी हो उस स्थान की साफ-सफाई करें। फिर कार्यक्षेत्र पर गंगा जल का छिड़काव करें। रंगोली बनाएं और पूजा स्थान को सजाएं। भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें। पंचामृत से अभिषेक करें। हल्दी का तिलक लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान को फूल अर्पित करें।
फल, मिठाई का भोग लगाएं। विश्वकर्मा जी के मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा को समाप्त करें। अंत में अपने व्यवसाय से जुड़े उपकरणों की पूजा करें।
भगवान विश्वकर्मा पूजन मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम:
ॐ कूमयि नम:
ॐ अनन्तम नम:
पृथिव्यै नम: