अब आंख की पुतलियां ही बता देंगी कि आपको शुगर है या नहीं

आंखों की पुतलियों और झिल्लियों (आइरिश और कंजंक्टिवल इमेज) से डायबिटीज की जानकारी मिल सकेगी। एएमयू के चिकित्सकों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है जो बगैर खून निकाले शुगर का स्तर भी बताएगी। इस डिवाइस के जरिए 1000 मरीजों पर शोध किया गया। पहले आंख की पुतली का फोटो लेकर इस डिवाइस के जरिए शुगर का स्तर चेक किया गया और फिर ब्लड सैंपल लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण कराया गया। दोनों ही रिपोर्ट एक समान आईं। एएमयू के शिक्षक डॉ. हामिद अशरफ और डॉ.नदीम अख्तर द्वारा की गई इस खोज को अब पेटेंट कराने की तैयारी हो रही है। शोध टीम का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लर्निंग मशीन के जरिये एक हजार लोगों की जांच की गई थी।

डिवाइस ऐसे करेगी काम

एएमयू के राजीव गांधी मधुमेह और एंडोक्राइनोलॉजी केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हामिद अशरफ ने बताया कि यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नदीम अख्तर के साथ मिलकर एक ऐसी डिवाइस बनाई गई है, जिससे डायबिटीज की आसानी से जांच की जा सकती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की आंखों की पुतलियों और झिल्लियों की कैमरे से तस्वीर लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लर्निंग मशीन के जरिये यह जांच की जाती है। इसमें रक्त नहीं निकालना पड़ता है। इस कैमरे की कीमत करीब चार हजार रुपये है, जिससे डिवाइस बनाई गई है।

लैब से ज्यादा असरदार एआईएलएम की जांच रिपोर्ट

डॉ. हामिद अशरफ ने दावा किया है कि पैथोलॉजी लैब की जांच रिपोर्ट से ज्यादा असरदार उनकी डिवाइस की रिपोर्ट है। लैब में शुगर की जांच की शुद्धता 70-80 फीसदी है, जबकि डिवाइस की जांच 90-95 फीसदी शुद्ध है। खास बात है कि इस डिवाइस में एक मिनट में रिपोर्ट आ जाती है, जबकि लैब में 10-15 मिनट में जांच रिपोर्ट आती है। डिवाइस से समय और पैसे की बचत होगी।

छह महीने में एक हजार लोगों पर शोध
डॉ. नदीम अख्तर ने बताया कि छह महीने में एक हजार लोगों पर शोध किया गया है। एएमयू में राजीव गांधी मधुमेह और एंडोक्राइनोलॉजी केंद्र में आने वाले 500 लोग जिन्हें शुगर नहीं था और 500 लोग, जिन्हें शुगर था। उनकी आंखों की पुतलियों और झिल्लियों की तस्वीर लेकर उसे एआईएलम से जांच की गई, तो पता चला कि जिन्हें शुगर नहीं था, उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई और जिन्हें शुगर था, उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

नवाचार को कराएंगे पेटेंट
डॉ. हामिद अशरफ ने कहा कि अपने नवाचार को पेटेंट भी कराएंगे। अगर यह बाजार में आ गया तो शुगर की जांच आसानी से हो जाएगी। हालांकि, शुगर के नाम पर मशीनें पहले से बाजार में हैं, लेकिन उनकी जांच रिपोर्ट की शुद्धता पर हमेशा संदेह रहता है। उन्होंने कहा कि इस नवाचार के लिए उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सम्मानित भी किया है।