नई दिल्ली : (मानवीय सोच) कनाडा में भारत के बाद सबसे बड़ा सिख समुदाय है. ऐसे में होना तो ये चाहिए था कि दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होते, लेकिन खालिस्तानों को लेकर मौजूदा कनाडाई सरकार के नरम रवैए ने रिश्ते में खटास ला दी. खालिस्तानी लगातार भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ट्रूडो सरकार उन्हें समर्थन दे रही है. कूटनीतिक स्तर पर दोनों ताकतवर देशों का एक दूसरे के टॉप डिप्लोमेट्स को हटाना काफी बड़ा कदम माना जा रहा है
कनाडा को अमेरिका और ब्रिटेन जैसे मजबूत देशों का साथ मिला हुआ है, यही वजह है कि उसने कभी अपनी सैन्य ताकत पर खास खर्च नहीं किया दोनों ही वर्ल्ड वॉर के दौरान कई उतार-चढ़ाव से गुजरने के बाद आखिरकार 1968 में जो फोर्स बनी, उसे कनाडियन आर्म्ड फोर्स कहा गया बाकी देशों की तरह इसके भी 3 हिस्से हैं, जो जमीन, पानी और हवा में लड़ने के लिए प्रशिक्षित हैं आर्मी की ताकत का अंदाजा लगाने वाले ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2023 के अनुसार, सैन्य ताकत के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है