प्रतापगढ़ (मानवीय सोच) फर्जी पते पर शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से सात साल की सजा पाने वाले एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह (गोपाल) को दूसरे दिन ही प्रभारी जिला जज की कोर्ट से जमानत मिल गई। कोर्ट ने अक्षय प्रताप को दो लाख रुपये की जमानत राशि और दो लाख रुपये के स्वबंधपत्र पर रिहा करने का आदेश दिया। शाम को उन्हें जिला जेल से रिहा भी कर दिया गया।
एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने फर्जी पते पर शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में 15 मार्च को दोषसिद्ध किया था। 22 मार्च को उन्हें सजा सुनाई जानी थी। कोर्ट ने सजा सुनाए बिना ही उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया था। 23 मार्च बुधवार को को उन्हें सात साल जेल की सजा सुनाई गई। साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।
सजा के दूसरे दिन गुरुवार को अक्षय प्रताप सिंह के अधिवक्ता शचींद्र प्रताप सिंह व राजकुमार सिंह ने एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रभारी जिला जज की कोर्ट में अपील की। इसमें अपील निस्तारण तक एमपी-एमएलए कोर्ट के आदेश का क्रियान्वयन स्थगित करने की मांग की। यह भी कहा कि जिन धाराओं में दंडादेश है उनमें अधिकतम सजा सात साल की है। विचारण न्यायालय ने दंडादेश पारित करते समय परिवीक्षा अधिनियम का लाभ नहीं दिया। कोई कारण भी उल्लिखित नहीं किया।
अपील की सुनवाई के बाद प्रभारी जिलाजज संतोष कुमार तिवारी ने अधीनस्थ न्यायालय से पारित निर्णय व दंडादेश का क्रियान्वयन अपील लंबन अवधि तक स्थगित किए जाने का आदेश दिया। दो लाख रुपये की जमानत और दो लाख रुपये के स्वबंध पत्र अधीनस्थ न्यायालय में दाखिल करने और संतुष्टि पर अपील निस्तारण तक जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। यह भी कहा कि यदि अपील शीघ्र निस्तारण में सहयोग नहीं किया जाता तो अपीलीय न्यायालय को जमानत निरस्त करने का अधिकार होगा। प्रभारी जिलाजज ने यह भी आदेश दिया कि वह बिना न्यायालय की अनुमति के देश से बाहर नहीं जाएंगे। जमानत मिलने के बाद शाम को अक्षय प्रताप सिंह जेल से रिहा हो गए।
सत्यापन के बिना हुआ रिहाई का आदेश
अक्षय प्रताप सिंह के अधिवक्ता के प्रार्थनापत्र पर कोर्ट ने जमानतदारों के सत्यान के बिना ही उनकी रिहाई का आदेश जारी कर दिया। उनके अधिवक्ता ने प्रार्थनापत्र देकर जमानतदारों का सत्यापन आने से पहले रिहाई की मांग की। इसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए रिहाई आदेश जारी कर दिया। हालांकि जमानत और स्वबंधपत्र की राशि चार लाख रुपये अक्षय प्रताप के अधिवक्ता की ओर से नकद जमा की गई।